रोजाना 125 किलो आटे से रोटियां बनाकर पूरे आबूरोड़ शहर में गली-गली जाकर कुत्तों को रोटियां खिलाती हैं। इसके लिए ज्योति दो-तीन भामाशाहों का भी सहयोग ले रही हैं। वहीं, 125 किलो आटे की रोटियां बनाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाओं को रोजगार देकर रोटियां बनाने का काम भी दिया है।
ज्योति खंडेलवाल के इस नेक काम में उसके परिवार के सदस्य भी जुट गए हैं।
नयनेश खंडेलवाल ज्योति के छोटे भाई हैं, जो हर रोज अपनी स्कूटी पर रोटियों का थैला लेकर ज्योति को साथ में बिठाकर आबूरोड़ की गलियों में जाते हैं और स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाते हैं। लॉकडाउन के दिनों में आबूरोड शहर के कुत्तों के साथ इनका इतना गहरा रिश्ता बन गया है। नयनेश खंडेलवाल के स्कूटी का हॉर्न की आवाज़ सुनकर ही कुत्ते दूर दूर से दौड़ते हुए आते हैं। स्कूटी के चारो और खड़े हो जाते हैं।
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